कंपनी का मतलब क्या है? कंपनी के प्रकार कितने है?
Company का शब्द लैटिन भाषा के शब्द Companies से आया है जिसमे Com का अर्थ है साथ साथ साथ तथा Panies का अर्थ रोटी, Companies Act 2013 के अंतर्गत Comapny का अर्थ है क़ानूनी और प्राकृतिक या इन दोनों के मिश्रण से व्यक्त्यिओ का समूह जो commercial और Industrial enterprise को चलाने के लिए बनाया गया है तथा बहुत सारे सामान्य व्यावसायिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए बहुत सारे व्यक्तियों के संगठन का निर्माण किया जाता है|
Company वैधानिक रूप से निर्मित एक artificial व्यक्ति के रूप में काम करती है जिसकी वजह से इसका अस्तित्व भी अलग होता है| इसलिए हम कह सकते है की व्यक्ति के आने या company से चले जाने पर company पहले की ही तरह काम करती है इसके अस्तित्व पर किसी प्रकार का असर नहीं होता है| आज हम इस article में आपको बताने वाले है की company के क्या क्या प्रकार होते है|
Types of company ( निजी सीमित company) :-
Commercial जगत की क्रियाओं और ज़रूरतों के हिसाब से भारत में comapnies act 2013 के अंतर्गत अलग अलग companies के प्रकार बताये गए है| वे मुख्यत: इस प्रकार :-
- Private Limited Company ( निजी सीमित Comapny) :- यह भारत में एक बहुत ही प्रगतिशील business entities की forms में से एक मानी जाती है| इसमें सदस्यों के business assets और personal assets अलग होते है| इसमें कम से कम 2 और ज्यादा से ज्यादा 15 directors हो सकते है| और shareholders 2 से 200 तक ही हो सकती है| MOA और AOA में company की सारे कार्य क्षेत्र के प्रति नियम एवं शर्तें वर्णित होती है| वित्तीय लेनदेन व Board meeting और annul reports आदि के records बनाने जरूरी है| Private Limited company registration, Companies Act 2013 के अंतर्गत करना होता है| Private Company Registration 3 प्रकार से करा सकते है :-
- अंश से सीमित company: – अंश धारी व्यक्ति का दायित्व केवल अंश की कीमत जितना ही होता है| यदि अंश की कीमत paid नहीं है तो वह उसकी कीमत paid करके अपना दायित्व पूरा कर सकता है|
- Guarantee से सीमित Company: – Company wound – Up या हम कह सकते है Company बंद होने की दशा में सदस्य द्वारा company के assets में स्वीकृत योगदान राशि तक उसका दायित्व होता है|
- Unlimited Company: – इसमें एक company सदस्यों के दायित्वों की कोई भी सीमा नहीं होती|
- Partnership: – Partnership व्यापार इकाई Sole proprietorship की जैसी ही होती है| इसमें 2 या 2 से अधिक व्यक्ति मिलकर किसी business या company को चला रहे होते है| Indian Partnership Act, 1932 के अंतर्गत सभी partners को एक partnership deed sign करनी होती है जिसमे business की सभी शर्तों और नियम लिखे होते है तथा partners के shares और liability का भी विवरण होता है|
- Limited Liability Partnership:- Limited lability Partnership अधिनियम 2008 में संसद में पारित किया गया| यह business entities limited lability partnership business की flexibity प्रदान करता है| इसमें business और सदस्यों की पहचान क़ानूनी तौर पर अलग अलग होती है और business के assets और सदस्यों assets भी अलग अलग होते है| इसका मतलब है की कभी हानि की दशा में कंपनी के सदस्य अपने define shares की value से ज्यादा जोखिम नहीं ले सकते|
Investors, Limited lability companies को partnerships और sole proprietorship से ज्यादा पसंद करते है क्योंकि यह वित्तीय लेनदेन, tax records, annul reports, incorporation records आदि अच्छी तरह maintain करती है| Limited liability partnership registration भारत में सबसे आसान business फॉर्म है| Limited lability partnership registration में औसतन 15 – 20 working days लग जाते है| LLP registration के लिए applicant को eform 2 भरना होता है| - Proprietorship: – एक Individual के नाम पर business registered कराना sole proprietorship business होता है| इसमें एक single व्यक्ति ही पूरे business के लिए जिम्मेदार होता है और मालिक और business अलग अलग नहीं होते| एक मालिक ही profits, losses और funds सभी कुछ देखता है|इसमें लेखांकन का कोई कठिन नियम नहीं है: Personal assets और business assets अलग अलग नहीं होते है| Business से मुनाफ़ा को मालिक के taxation में भी दिखाई जाता है|
- One Person Company: – OPC company की एक नई form है| यह Companies Act, 2013 के अंतर्गत उन entrepreneurs को support करती है जो अपने दम पर जोखिम लेकर business शुरू करते है| इसमें केवल एक व्यक्ति ही company का सदस्य हो सकता है| जबकि Private limited company और LLP में कम से कम 2 सदस्यों की जरूरत होती है| दूसरी companies की तरह इसमें भी सदस्य और कंपनी की पहचान क़ानूनी तौर पर अलग अलग होती है|
- Section 8 Company: – Section 8 company एक ऐसा संगठन होता है जो non – profit organization के रूप में रजिस्टर्ड होता है| NPO / Company का मुख्य उद्देश्य कला, commerce, charity, education, protection of environment, science, social, welfare sports, research, धर्म आदि का promote करती है| इसमें सभी function Limited liability company की तरह ही नियम और दायित्व होते है|
- Joint Hindu Family: – इसमें परिवार का मुख्य कर्त्ता ही मालिक होता है और बाकी सभी लोग सदस्यों की तरह होते है|
- Public Company: – Public Company में maximum capital 5 lakh रुपए या इससे अधिक होनी चाहिए| इसमें public को shares के लिए invite करना होता है| इसमें कम से कम 7 सदस्य होने ही चाहिए| Public Company के नाम के अंत में “Limited” ज़रुर लगाना होता है|
Company के अलग अलग प्रकार के बारे में हमने आज आपको इस article में बताया है| उम्मीद करते है आपको सभी companies के प्रकार और उनमें अंतर समझ आ गया होगा और यह जानकरी आपकी मदद करेगी|
bhot acha likha hai
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